यह धरती है,हम सबकी माँ,
इसका श्रंगार बचाना है ,
पेड-पौधोँ से,आच्छादित कर,
माँ का कर्ज़ चुकाना है ।
धरती करती चीख-पुकार,
बन्द करो अब अत्याचार,
पेड-लगाओ,पौधे रोपो,
लौटा दो मेरा श्रंगार ।
रचयिता:-मयंक शेखर गौनियाल "शशांक"
चलितवाणी:- 09410572748
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