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Saturday, April 2, 2011

श्री गुरू राम राय दरबार, झंडे साहिब, देहरादून

श्री-श्री युक्त,सिद्धिपूर्ण,यह पवित्र स्थान है ।
गु-गुरू की कृपा नित शीश पर,हो गया कल्याण है ॥
रू-रुग्ण अनेकोँ हुए यहाँ स्वस्थ हैँ,बलवान हैँ ।
रा-राम राय जी पूज्यश्री,संस्थापक महान है ॥
म-महंत श्री देवेन्द्र दास जी,पूज्य विराजमान है ।
रा-रात-दिन शिक्शा हेतु अर्पित,धन्य है,महान हैँ ॥
य-यह सौभाग्य न जाने,किस जन्म का फूला-फला है।
द-दर्शन हुए महाराज के साथ ही प्रश्रय मिला है ॥
र-रत रहूँ स्व-ध्येय मेँ नित,यह मिला वरदान है ।
बा-बालक हूँ नादान-सा मैँ,महाराज को संग्यान है॥
र-रज-कण भी बन जाते हैँ रश्मि-पुंज,पल मेँ यहाँ ।
झ-झंडे सहिब जी की अपनी ही निराली है महिमा ॥
डे-डेरा उदासी पंथ का,यह निर्मल स्थान है ।
सा-साहस,सँयम,साधना,समर्पण,सत्य की पहचान है॥
हि-हिमाँशु-सी स्निग्धता यहाँ,अमृत यहाँ है नेह का ।
ब-बस गया कर्मफल मेँ मेरे,पुण्य इस श्रद्धेय का ॥
दे-देखकर पूज्य गुरू के,तेज को,आलोक को ।
ह-हर-पल हृदय है पा रहा,शक्ति.सम्बल,संतोश को ॥
रा-राश्ट्र-सेवा मेँ लगा,श्री गुरू राम राय शिक्शा संस्थान है।
दू-दूर करने अग्यान,जडता,एक अविरल अभियान है ॥
न-नमन शत-शत आप ही से "शशांक" का उत्थान है ॥
रचयिता:-मयंक शेखर गौनियाल "शशांक"
मोबाईल-09410572748
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skype-mayank.gauniyal1
यह रचना झंडे जी एवम दरबार को समर्पित है।

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