थरथरा उठ्ठा है यौवन,
कामना का ज्वार निर्मम,
मद-भरा है,अँग-प्रत्यँग,
तडपता है विरही-मन,
मीत मेरे कब आओगे ?
तुम ही तो हो गीत मेरे,
प्रीत के संगीत मेरे,
मेरी प्यासी कामना के,
तुम ही तो हो घन-घनेरे,
मीत मेरे कब आओगे ?
प्रिये!तन मेँ झंकार भर दो,
पाषाण का श्रंगार कर दो,
ले के आलिंगन मेँ मुझको,
प्राण का संचार कर दो,
मीत मेरे कब आओगे ?
वो मधुर स्पर्श तुम्हारा,
स्पन्दित था तन-मन सारा,
वेदना के गहरे भँवर मेँ,
डूबता मैँ दर-दर का मारा,
मीत मेरे कब आओगे ?
पात गिरते झर-झरा-झर,
निर्बाध बहता समय-निर्झर,
तुमको समर्पित ज़िन्दगी है,
छायी हो,मानस-पटल पर,
मीत मेरे कब आओगे ?
माँझी मेरे नैया पार कर दो,
नव-प्रणय का विश्वास भर दो,
मम सृष्टि मेँ,नव दृष्टि दे,
प्रेममय मधुमास भर दो,
मीत मेरे कब आओगे ?
रचयिता:-मयंक शेखर गौनियाल "शशांक"
cell:- +919410572748
E-mail:-mayankgauniyal@yahoo.com
yahoo messenger:-mayankgauniyal
google talk:-mayankgauniyal
skype:-mayank.gauniyal1
2-B,सेवक आश्रम रोड,देहरादून
गौनियाल जी बहुत सुन्दर गीत का सृजन किया है आपने....गीत की एक एक पंक्ति हृदय की अतृप्त अभिलाषाओं को बहुत सहज एवम भावुक तरीके अभिव्यक्त करती हैं...श्रेष्ठ गीत रचना पर हार्दिक बधाई !
ReplyDelete....डॉ. हिमाँशु कुकरेती
teacher maths ke ho aur hindi sahitya tatha kavita me amulya yogdan dete ho aabhar dhanywad
ReplyDeletethanks vinay ji
ReplyDeletethanks himanshu ji
ReplyDeletejikudi ki peed.
ReplyDeletehass bhari ki umaal.
dil ki baat
hathon haath
bichari jakh bi holi
baat lageen holi
thwadi si intjaar
bhula na ho bekaraar
aali..tak lagaiki aali
are kakh ji jaali..?