Powered By Blogger

Monday, June 27, 2011

ग़ज़ल

तू नहीँ है सनम,तेरा अहसास तो है ॥
तुझको पाने की क़सक साथ तो है ॥1॥
आईना मेरे चेहरे मेँ तेरा अक़्स दिखाता क्यो है॥
मेरे माशूक़ तेरी यादोँ की खनक साथ तो है ॥2॥
खुद को तन्हाई के स्याह,अन्धेरोँ मे घिरा पाता हूँ॥
तेरे हर सूँ,जगमगाते हुए चरागात तो है ॥3॥
मेरी साँसो मे तेरी खुश्बू महक़ती क्यूँ है ॥
और सीने मे सुलगते हुए ज़ज़्बात तो है ॥4॥
तेरी यादोँ के समन्दर मे गर्त हुआ जाता हूँ ॥
है अज़ीब तिष्नगी,पर सुक़ून-ए-हालात तो है ॥5॥
ए मेरी माना-ए-मुहब्बत,मेरी मंज़िल-ए-इश्क॥
चन्द पुरक़शिश लम्हे'शशांक'फिर उदास रात तो है॥6॥


रचयिता:- मयंक शेखर गौनियाल 'शशांक'
Email:-mayankgauniyal@yahoo.com
Yahoo Messenger:- mayankgauniyal
Skype:- mayank.gauniyal1
Phone:- +919410572748
Facebook:- Mayank Gauniyal 'Shashank'
Twitter:- MAYANK_GAUNIYAL

No comments:

Post a Comment