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Wednesday, April 6, 2011

गीत :- मीत मेरे कब आओगे ? [यह गीत मेरे प्यार को,मेरे दिल की पुकार है,जिसका आखिरी साँस तक, मुझे इंतज़ार है। ]

थरथरा उठ्ठा है यौवन,
कामना का ज्वार निर्मम,
मद-भरा है,अँग-प्रत्यँग,
तडपता है विरही-मन,
मीत मेरे कब आओगे ?
तुम ही तो हो गीत मेरे,
प्रीत के संगीत मेरे,
मेरी प्यासी कामना के,
तुम ही तो हो घन-घनेरे,
मीत मेरे कब आओगे ?
प्रिये!तन मेँ झंकार भर दो,
पाषाण का श्रंगार कर दो,
ले के आलिंगन मेँ मुझको,
प्राण का संचार कर दो,
मीत मेरे कब आओगे ?
वो मधुर स्पर्श तुम्हारा,
स्पन्दित था तन-मन सारा,
वेदना के गहरे भँवर मेँ,
डूबता मैँ दर-दर का मारा,
मीत मेरे कब आओगे ?
पात गिरते झर-झरा-झर,
निर्बाध बहता समय-निर्झर,
तुमको समर्पित ज़िन्दगी है,
छायी हो,मानस-पटल पर,
मीत मेरे कब आओगे ?
माँझी मेरे नैया पार कर दो,
नव-प्रणय का विश्वास भर दो,
मम सृष्टि मेँ,नव दृष्टि दे,
प्रेममय मधुमास भर दो,
मीत मेरे कब आओगे ?
रचयिता:-मयंक शेखर गौनियाल "शशांक"
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