Powered By Blogger

Tuesday, July 26, 2011

कारगिल शहीदोँ के प्रति

ऐ शहीद-ए-कारगिल,
रो-रो पुकारे तुझको दिल ॥
देकर आहुति प्राणो की,
इतिहास इक फिर से गढा ॥
खाक मेँ तुम मिल गये पर,
देश का गौरव बढा ॥
कैसे मानू मिट गये तुम,
हो गये तुम तो अमर ॥
सर झुके है,आँखे नम है,
है यहाँ वीराना-पन ॥
अर्पित तुम्हे श्रद्धांजलि,
करता नमन सारा वतन ॥
ऐ शहीद-ए-कारगिल,
रो-रो पुकारे तुझको दिल ॥

रचयिता:-मयंक शेखर गौनियाल'शशांक'
Email:-mayankgauniyal@yahoo.com/mayankgauniyal@gmail.com
Google Talk:-mayankgauniyal
Yahoo Messenger:-mayankgauniyal
Skype:-mayank.gauniyal1
Cell:-09410572748
Facebook:-Mayank Gauniyal 'Shashank'

Monday, July 25, 2011

अमर शहीद श्रीदेव सुमन

अ:-अग्रदूत बन गढ भूमि पर आप अवतरित हुए ॥
म:-मर्माहत प्रजा की मुक्ति के स्वर फिर मुखरित हुए ॥1॥
र:-रश्मि-पुंज-सा तेज़,ओज-मय वाणी लिये ॥
श:-शक्ति का संचार कर,जन,नव-ऊर्जा से भर दिये ॥2॥
ही:-हिल उठा टिहरी सिँहासन,राज-सत्ता हिल गई ॥
द:-दमन-चक्र ऐसा चला कि क्रूरता भी सहम गई ॥3॥
श्री:-श्रीदेव कैसे आपने,यातना इतनी सही ॥
दे:-देख सुन मन द्रवित है,बस आप तो थे आप ही ॥4।।
व:-वक्त की पगडंडियोँ पर,पद-चिन्ह अंकित कर गये ॥
सु:-सुमन उत्तराखंड के,तुम अमर होकर गये ॥5॥
म:-मन मेँ रहे हर उत्तराखंडी के,नित भाव भी यह ॥
न:-नहीँ हो व्यर्थ 'शशांक'श्रीदेव का बलिदान भी यह ॥6॥

रचयिता:-मयंक शेखर गौनियाल'शशांक'
Email:-mayankgauniyal@yahoo.com
Cell:- 09410572748
Yahoo Messenger:- mayankgauniyal
Google Talk:-mayankgauniyal
Skype:- mayank.gauniyal1
Facebook:-Mayank Gauniyal 'Shashank'